तिरुपति लड्डू- जानवर की चर्बी, मिलावटी घी से हवाला तक: मंदिर को 250 करोड़ का नुकसान, जगनमोहन के सांसद और मंदिर कमेटी पर सवाल

तिरुमला तिरुपति देवस्थानम यानी TTD में चढ़ाए जाने वाले लड्डू प्रसाद पर विवाद बढ़ता जा रहा है। SIT जांच में ये खुलासा हुआ है कि मंदिर के प्रसाद में बीते 5 साल के अंदर लगभग 68 लाख किलो मिलावटी घी का इस्तेमाल हुआ। इसमें सप्लाई करने वाली कंपनियां भोलेबाबा डेयरी, वैष्णवी डेयरी और AR डेयरी शामिल थीं।

इस मामले की जांच रही SIT से जुड़े एक सोर्स ने बताया है कि TTD के पूर्व अधिकारी एवी धर्मा रेड्डी पर 11 और 12 नवंबर को 9 घंटे तक पूछताछ की। उन्होंने दावा किया कि वो इस बात के बारे में कुछ नहीं जानते हैं कि लड्डू के घी में मिलावट कैसे हुई।

इस मामले पर पूरा राजनीतिक मोर्चा लेते हुए, दोनों प्रमुख पार्टियां तिरुपति किचन वर्कर्स की बात मानी होती। विशाखापट्टनम के सीनियर जर्नलिस्ट पी आनंद तिरुपति मंदिर के TTD बोर्ड में फेरबदल और लड्डू मिलावट केस पर करीब से नजर रख रहे हैं। उनका मानना है कि इस विवाद के पीछे सबसे ज्यादा जिम्मेदार TTD बोर्ड का पुराना मैनेजमेंट है।
 
तिरुमला तिरुपति देवस्थानम में लड्डू प्रसाद की मिलावट पर विवाद बढ़ रहा है... 🤔 क्या हमने ऐसा कभी नहीं सुना था? जब भी हमारे मन्दिरों में प्रसाद दिया जाता था, तो हमेशा हमें यह महसूस होता था कि वो प्रसाद हमारे भगवान की उपहार से बनाया गया है। लेकिन अब यह पता चल रहा है कि उस प्रसाद में घी मिलावट हुई है, जैसे कि कोई बाजार का खरीदारी करने वाला करता है... 😱 क्या हमारे मन्दिरों में भी ऐसी गलतियाँ हो सकती हैं? मुझे यह नहीं लगता था कि TTD बोर्ड इतनी गलती कर सकेगा।
 
बेटा, यह तो और भी बड़ा खिलवाड़ हो गया है! 68 लाख किलो घी के दुष्प्रयोग से ये तिरुमला तिरुपति मंदिर कहाँ गया? मुझे लगता है कि यह तो TTD बोर्ड की गलत नीतियों और पुराने मैनेजमेंट की वजह से हुआ है। लेकिन, याद करते हैं जब हमारे दादाजी का खिलवाड़ था, तब ज्यादा बात नहीं कही जाती, फिर भी सब ठीक चल जाता। आजकल तो हर चीज़ में गहराई आ गई, लेकिन लगता है कि हमारे पास सुधार के तरीके हैं, बस काम करना होगा और धैर्य रखना होगी।
 
तिरुपती तिरुमला मंदिर को लेकर यह सब बढ़ रहा है और मुझे लगता है कि यह एक बड़ा घोटाला हुआ है। तो क्या हम इस बात पर ध्यान न दें कि स्थानीय लोगों ने अपनी जिंदगी खुद में लगाई हुई? और पूरा राजनीतिक मोर्चा लेते हुए, लेकिन क्या वास्तव में कोई समाधान नहीं दिख रहा है? तिरुमला मंदिर को लेकर हमारी जिम्मेदारी क्या है? हम इसके प्रति संवेदनशील रहें, लेकिन इस घोटाले के खिलाफ सच्चाई बाहर निकालने के लिए हमें एकजुट रहना चाहिए। 🙏
 
तिरुमला तिरुपति देवस्थानम की लड्डू प्रसाद पर विवाद को सोचकर कुछ इस तरह से सोच सकते हैं 🤔। यह विवाद बिल्कुल भी नहीं तय हुआ, लेकिन मुझे लगता है कि TTD के पास थोड़ा और जवाबदेह होने का मौका नहीं मिला। इन सप्लाई करने वाली कंपनियों ने इतनी बड़ी मात्रा में घी मिलावट किया है, तो उनके लिए जवाबदेही कौन करेगा?

मुझे लगता है कि TTD के पास थोड़ा और प्रबंधन का मौका नहीं मिला, अगर वे इस तरह से प्रसाद की गुणवत्ता को नियंत्रित नहीं कर सकते, तो फिर यह विवाद हमेशा ही बना रहता।

एक बात जरूर है, TTD और उसके सप्लाई करने वाली कंपनियों को इस मामले से बहुत सीखने को मिलेगी।
 
यह तो एक बड़ा सबक है कि चालाकी से बना भंडारा तो कभी नहीं बढ़ता। TTD में हुए इस घी मिलावट केस को देखकर हमें यह सोचने की जरूरत है कि क्या इतनी बड़ी कमाई के लिए तालमेल निकालने की जरूरत थी। यह विवाद हमें एक बात सिखाता है कि सच्चाई और ईमानदारी को कभी भी प्राथमिकता देनी चाहिए।
 
यह बहुत दुखद बात है कि तिरुमला तिरुपति देवस्थानम में लड्डू प्रसाद पर विवाद बढ़ गया है। 68 लाख किलो घी में मिलावट के इस बड़े स्कैम ने कई सवाल उठाए हैं। यह तो तिरुमला तिरुपति देवस्थानम के प्रति हमारी विश्वासों को भी झुका देता है।

मुझे लगता है कि इस मामले को साफ करने के लिए सच्चाई की खोज की जानी चाहिए। TTD बोर्ड के पुराने मैनेजर पर सवाल उठाए जाने चाहिए, और यह देखा जाना चाहिए कि विवाद होने के कारण क्या था।

किसी भी तरह से, हमें यह समझना चाहिए कि ऐसे मामलों को सावधानी से देखना चाहिए, और उनके पीछे की सच्चाई की खोज करनी चाहिए। 🤔
 
तिरुपति मंदिर की लड्डू प्रसाद पर विवाद को देखते हुए मुझे याद आता है जब हमारे ग्राम में एक बार मिलावटी घी का खेल चला था। तो वहीं इस मामले में भी यह साबित हुआ है कि लोगों की ईमानदारी पर पूरा भरोसा नहीं किया जा सकता। और TTD बोर्ड के पुराने मैनेजमेंट से तो यही लगता है। पूर्व अधिकारी वी धर्मा रेड्डी ने भी इस मामले से दूर रहने की कोशिश करते हुए पूछताछ की, लेकिन जब सब कुछ बाहर आता है तो उन्हें भी अपनी जिम्मेदारी स्वीकारनी पड़ती है। और इस मामले ने हमें यह भी सिखाया है कि दिल्ली सीटों पर भी क्या कहा जा सकता है, जब राजस्थान में तो सब ठीक है। 😐
 
मिलावटी घी कैसे चली यह? 🤔 सालों से ऐसा तो चलता रहा, लेकिन जब तक नहीं पता चलता और तोड़-मरोड़ होता तब तक नहीं। TTD में इतने बड़े विवाद का क्या मतलब? 68 लाख किलो घी मिलावट, बस इतना नहीं तो और भी जिम्मेदार लोगों का नाम भी नहीं सामने आता। यह सोचते हुए यह तो समझ में आ गया कि TTD बोर्ड में पुराना मैनेजमेंट क्यों बना हुआ है। कुछ लोगों का दिल खुशी होता है और कुछ लोगों की सोच गलत होती है। यह तो एक बड़ा सबक है कि सरकार ही नहीं सबके सामने खड़ी होने की जरूरत है, हमें अपना मामला करना ही पड़ता है।
 
तिरुमला तिरुपति देवस्थानम में लड्डू प्रसाद पर मिलावट कैसे हो सकती है, यह तो सोचिए बिना और भी। इतने बड़े विवाद के पीछे चोट नहीं लगी। TTD के पुराने नेता जी तो खूब सारी बातें कर लेते हैं लेकिन कभी सुनने को मिलेगी। और अब ऐसा हुआ तो शायद उन्होंने अपने बेटियों को नौकरी देनी होगी, फिर भी।
 
बिल्कुल सुनकर मुझे लगने लगता है कि मंदिर में तो कुछ भी अच्छा-खासा नहीं होता। लड्डू प्रसाद में घी में मिलावट कैसे हुई, यह तो समझ में आता है। लेकिन तीर्थ यात्रा करने वालों की दुआ-नमाज़ में इतना भ्रष्टाचार होना दुर्भाग्य है 🤦‍♂️। TTD बोर्ड के पुराने नेताओं पर ऐसा सवाल उठता है, तो यह तो विरोधी दलों के लिए बहुत भारी मुद्दा बन सकता है। तीर्थ धाम से जुड़े अनेकों लोग हैं जिनकी खातिर दुआ नमाज़ करने के लिए पैसे खर्च होते हैं। इस तरह के विवाद को सुलझाने में समय लगेगा फिर भी।
 
बिल्कुल तो यह देखकर हैरान हुआ हूँ। लड्डू प्रसाद में घी की मिलावट से हमारे तिरुमला तिरुपति देवस्थानम पर क्या हाल हो रहा है? 68 लाख किलो घी कितना शुद्ध नहीं है? यह तो बहुत बड़ी बात है। और तिरुपति किचन वर्कर्स की बात मान लेने से पूरा देश राजनीति कर रहा है?

मुझे लगता है कि TTD बोर्ड के पुराने मैनेजमेंट पर यह सब जिम्मेदार है। उन्होंने शायद अपने लाभ को बढ़ाने के लिए ऐसी चाल चली थी। और अब तिरुपति मंदिर का नाम खेल रहा है? 🤔

क्या इस मामले में कोई बड़ी जांच होगी या फिर यह सिर्फ एक छोटे से मुद्दा बनकर गायब हो जाएगा? जानते हैं नहीं कि बाकी लोग क्या कहेंगे।
 
क्या देखा, तिरुमला तिरुपति मंदिर की लड्डू प्रसाद पर अब इतनी बड़ी मिलावट हो गई है कि पूरा राजनीतिक मोर्चा ले रहा है। लेकिन यहां से सवाल उठता है, क्या इसके पीछे तो तिरुपति किचन वर्कर्स की बात मानी जा रही है या फिर मिलावट कैसे हुई? और वी धर्मा रेड्डी जी ने इतनी जल्दी से 9 घंटे तक पूछताछ क्यों किया? यह तो एक दिलचस्प मामला है।
 
मैंने कल सुना था की हमारे पड़ोस में खुशबू माल बनाने वाले चाचा को फिर से घी खरीदना पड़ा तो मुझे बात मिलनी अच्छी लगी। वह भी बात कर रहा था की अब घर पर ही घी बनाना बेहतर है तो मैंने कहा की चाचा तुम्हारे घर में तो क्या फायदा होगा?
 
लड्डू प्रसाद में घी का मिलावट करने का खुलासा सुनकर तो मुझे लगना चाहिए कि देश के श्रेष्ठ लोगों ने गलतियाँ की हैं! 68 लाख किलो घी में मिलावट, अरे वाह! यह तो हमारी अर्थव्यवस्था पर भी जोर देने की तरह लगता है! 🤯 क्या इतनी सी घी इतनी सारी कंपनियों को एक साथ आकर मिलावट करने का मौका मिल गया? 🤑

तिरुपति किचन वर्कर्स की बात मानी जा रही है लेकिन मुझे लगता है कि इसमें और भी गहराई है। TTD बोर्ड का पुराना मैनेजमेंट वास्तव में जिम्मेदार है, लेकिन इसके पीछे कौन सी राजनीतिक दबावें थीं? 🤔

आज के समय में, जब हम तकनीक की बात कर रहे हैं, तो घी में मिलावट कैसे हुई? यह तो डिजिटल ट्रैकिंग की बात करने का सही मौका है! 📊 क्या सीटीसी वेबसाइट पर भी इतनी सारी गलतीों का रिकॉर्ड है? 🤔

क्या हमें तिरुपति मंदिर की शुद्धता बनाए रखने के लिए एक नई पीढ़ी की जरूरत नहीं है? जो लोग इस तरह की गलतियाँ कर सकते हैं, उन्हें सुधारने के लिए हमें तैयार रहना चाहिए। 🤝
 
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