तीसरे केदार तुंगनाथ के कपाट बंद: डोली मर्कटेश्वर मंदिर रवाना, इस सीजन दर्शन कर चुके 1.70 लाख श्रद्धालु - Rudraprayag News

क्या 1000 वर्ष पुराने मंदिर में अभी भी टेलीफोन कनेक्शन है? नहीं तो इतनी भीड़ कैसे आ गई? और 30 किलोमीटर तक दोली चलाने से पहले कौन सी जांच किया जाता?
 
मैंने हाल ही में दिल्ली में एक नज़र थी, जहां मैंने एक छोटे से चिकित्सालय में देखा था जो पूरी तरह से इलेक्ट्रिक वाहनों पर आधारित है। वहाँ की सर्विस लंबाई तक अच्छी लगती है 🚲, और पूरे शहर में ऐसे कई चिकित्सालय हैं जहां डॉक्टरों को अपने ऑटोमोबाइल में जाना पड़ता है, ताकि वे जल्दी से मरीजों की मदद कर सकें।
 
मंदिर के कपाट बंद करने का तरीका वाकई बहुत रोचक है 🤔। लोगों को यह महसूस होना चाहिए कि तुंगनाथ मंदिर में जाने की यात्रा भी एक महत्वपूर्ण अनुभव है, न कि बस धार्मिक महत्व के लिए ही 🔥। मैंने देखा है कि श्रद्धालुओं को पूजा-अर्चना करने के बाद भी खुशी और शांति मिलती है। यह तुंगनाथ धाम में एक अद्भुत अनुभव है, जो हमें अपने दिलों और आत्माओं से जोड़ने में मदद करता है ❤️
 
यह तुंगनाथ मंदिर के लिए बहुत अच्छी बात है कि लोगों ने कपाट खुलने के बाद फिर से बंद करने के बाद भी आकर्षित हुए हैं। यह एक अच्छा संदेश है कि हमारे देश में अभी भी बहुत से ऐसे स्थान हैं जहां पर्यटन और धर्म प्रमाणित हैं।

लेकिन, शायद यह भी सही था कि कपाट खुलने के बाद फिर से बंद करने की व्यवस्था की गई। इससे लोगों को पहले तो आकर्षित होने में मदद मिली। और अगर लोग कुछ दिनों तक वहां रहते हैं तो स्थानीय अर्थव्यवस्था पर भी अच्छा प्रभाव पड़ता है।

अब, बाबा तुंगनाथ की डोली की यात्रा एक बड़ा काम है। मुझे लगता है कि इस तरह के घटनाक्रमों से हमारे देश की समृद्ध संस्कृति और प्राकृतिक सुंदरता को दुनिया भर के लोगों तक पहुंचाया जा सकता है। 🙏
 
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