उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी 4 सीटों पर जीती चुनाव, लेकिन NDA को पहुंचाया बंपर फायदा; 40 सीटों पर

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए ने ऐतिहासिक जीत हासिल की है, जिसमें पांच राजनीतिक दलों के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में बीजेपी, जदयू, लोजपा (रा), हम और राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमो) शामिल हैं। एनडीए ने विपक्षी महागठबंधन को 202 सीटों पर समेट दिया, जिसमें बिहार की 243 विधानसभा सीटों में से 40 सीटें शामिल हैं।

उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी, रालोमो, ने बिहार में 6 सीटों पर अपने उम्मीदवारों को उतारा, जिसमें बाजापट्टी, मधुबनी, सासाराम, दिनारा, उजियारपुर और पारु शामिल हैं। इसमें से बाजापट्टी से रामेश्वर कुमार महतो, मधुबनी से माधव आनंद, सासाराम से स्नेहलता और दिनारा से आलोक कुमार सिंह ने जीत हासिल की।

बिहार में कुशवाहा वोटों पर उपेंद्र कुशवाहा का प्रभाव देखने को मिला, जिसकी कुल जनसंख्या 4.2 परसेंट है। बिहार में कुशवाहा जाति की बड़ी भूमिका वाली 45 सीटों पर एनडीए ने विस्फोटक जीत दर्ज की। पिछले विधानसभा चुनाव में, मगध की 47 सीटों में जहां एनडीए को सिर्फ 18 सीटें मिली, वहीं, 2025 में एनडीए ने 40 सीटों पर जीत दर्ज की।
 
अरे देखो, यह तो बहुत ही रोचक है। लेकिन फिर भी मैंने इस चुनाव की गूढ़गुत्तियों का अंत निकलने से पहले अपने पॉइंट्स की बात करनी चाहूँगी।

पहली चीज, यह तो है बिल्कुल सही कि एनडीए ने ऐतिहासिक जीत हासिल की, लेकिन मुझे लगता है कि हमें इसके पीछे के सोच की समझ होनी चाहिए। क्या यह वास्तव में दलदलों से लड़ने की बात थी या फिर यह सिर्फ एक गठबंधन था जिसने अपने उद्देश्यों को पूरा कर लिया है?

दूसरी चीज, उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी ने 6 सीटों पर जीत दर्ज की, लेकिन मुझे लगता है कि यह उनकी वोट बैंक की गणना नहीं कर रही थी। अगर हम देखें तो यह कुल 4.2 परसेंट है, जो कि बहुत कम है। लेकिन फिर भी, उन्होंने इतनी सीटें जीत लीं, जो कि एक रोचक सवाल है।

तीसरी चीज, एनडीए ने विपक्षी महागठबंधन को समेट दिया, लेकिन मुझे लगता है कि यह भी तो एक गड़बड़ी थी। अगर हम देखें तो एनडीए ने 202 सीटों पर जीत दर्ज की, लेकिन विपक्षी महागठबंधन ने 40 सीटों पर हार माननी पड़ी। यह कैसे संभव है?

अरे ये तो बहुत ही रोचक है, लेकिन फिर भी मुझे लगता है कि हमें इसके पीछे के सोच की समझ होनी चाहिए।
 
नरेन्द्र सिंह देव और उनकी सरकार को बधाई! 👏 उन्होंने अपने प्रदेश के लोगों का भरोसा हासिल किया है और उनके नेतृत्व में एनडीए ने एक ऐतिहासिक जीत हासिल की है। यह अच्छी खबर है कि बिहार में लोकतंत्र और समाजवाद को मजबूत करने पर सरकार का ध्यान दिया गया है। 🙏

लेकिन, यह भी महत्वपूर्ण है कि हम अपने विपक्षी दलों के नेताओं को भी धन्यवाद दें जिन्होंने चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया। उनके संघर्ष और समर्पण ने हमें एक मजबूत विरोधी दल देने में मदद की है। 🤝

अब, यह समय है कि हम बिहार सरकार को अपने वादों को पूरा करने में मदद करें। उन्हें राज्य के लोगों के हितों को ध्यान में रखकर नीतियों बनानी चाहिए। 🌟
 
😔 बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की जीत एक अच्छी बात है, लेकिन यह सवाल उठता है कि क्या यह बदलाव हमारे राज्य में सामाजिक तनाव को कम करेगा? 🤔 कुल 4.2% जनसंख्या वाली जाति पर इतना प्रभाव पड़ना चुनौतीपूर्ण है। 🚨 भारत में जातिवाद एक बड़ी समस्या है और हमें इसके खिलाफ लड़ना होगा। 🤝
 
बिहार में एनडीए की जीत तो चौंकाने वाली है 🤯, लेकिन रामेश्वर कुमार महतो का जीतना मुझे खुश कर दिया 😊
 
बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की जीत बहुत अच्छी लगी 🤩। पूरे बिहार में उनका समर्थन बढ़ा है, खासकर रालोमो पार्टी के लिए। रामेश्वर कुमार महतो, माधव आनंद, स्नेहलता, आलोक कुमार सिंह जैसे उम्मीदवारों ने अच्छी तरह से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 🏆

यह भी देखा गया कि एनडीए ने विपक्षी महागठबंधन को 40 सीटें पर समेट दिया, जो बहुत बड़ी जीत है 🤯। यह बिहार में एनडीए की शक्ति और लोकप्रियता को दर्शाता है।

अब हमें देख रहे हैं कि रालोमो पार्टी का सामना विशेष रूप से मधुबनी, सासाराम, दिनारा, उजियारपुर और बाजापट्टी जैसे मंडलों में हुआ। यह अच्छा है कि उन्होंने अच्छे उम्मीदवार उतारे और जीत हासिल की।

चुनाव में रालोमो पार्टी ने 6 सीटें पर अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन अब उनकी चुनौती यह रहेगी कि वे अपने उम्मीदवारों को और मजबूत बनाएं और आगे की जीत हासिल करें।
 
बिहार का यह चुनाव हुआ तो बहुत अच्छी बात है 🙌, लेकिन फिर भी कुछ सवाल उठते हैं। यह तो एनडीए की जीत हुई लेकिन क्या हमने विपक्षी दलों की चिंताओं को ध्यान में नहीं रखा। बिहार में बहुत से छोटे-मोटे बदलाव आने चाहिए, जैसे खाद्य अनुदान योजना और रोजगार के अवसर बढ़ाने।
 
मुझे लगता है कि यह चुनाव बहुत ही रोमांचक रहा होगा, लेकिन मैंने देखा कि विपक्षी दलों को अपने विजेताओं को सूचीबद्ध करने में थोड़ा समय लगा। 🕰️

बाजापट्टी और मधुबनी जैसी 5 सीटें पर रामेश्वर कुमार महतो और माधव आनंद ने जीत हासिल की, लेकिन दूसरी बात यह है कि वे अपने विजेताओं को विशिष्ट तालिका में प्रदर्शित नहीं कर रहे हैं। 📊

इस चुनाव में, एनडीए ने 202 सीटों पर बहुत अच्छी जीत हासिल की, और यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात है कि उन्होंने विपक्षी दलों को समेट दिया। 🏆

लेकिन मुझे लगता है कि अगर हम अपने विजेताओं को अच्छी तरीके से प्रदर्शित करें, तो यह चुनाव के परिणामों को और भी समझने में मदद करेगा। 😊
 
बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की जीत तो हासिल हुई, लेकिन यह प्रश्न उठना जरूरी है कि बाजापट्टी से रामेश्वर कुमार महतो, मधुबनी से माधव आनंद और दूसरों से जीत हासिल करने के लिए उनकी योजनाएं तय थीं? 🤔

क्या उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी, रालोमो, ने बिहार में वोटों पर अपना प्रभाव दिखाया है, या यह सिर्फ एक फैड था जो जल्द ही समाप्त हो जाएगा? 🤷‍♂️

मुझे लगता है कि बिहार के चुनाव में एनडीए की जीत को देखकर हमें यह सोचने की जरूरत है कि इसके पीछे वास्तविक कारण क्या हैं, न कि बस नकली वोटों के साथ तय किया गया। 🤔
 
बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए ने ऐतिहासिक जीत हासिल की है और मैं उनकी बधाई देता हूँ! 🎉 रामेश्वर कुमार महतो से बाजापट्टी से जीतना बहुत अच्छा लगा और माधव आनंद मधुबनी से भी बहुत अच्छा प्रदर्शन किया। एनडीए ने विपक्षी महागठबंधन को समेट दिया है और यह साबित करता है कि हमारे नेताओं में बहुत साहस और राजनीतिक कौशल है। उपेन्द्र कुशवाहा जी की पार्टी भी अच्छी प्रदर्शन किया और उनके उम्मीदवारों ने भी अपना कुछ कमाने का मौका लिया। 😊
 
हाहा, बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की जीत तो बड़ी है, लेकिन उपेंद्र कुशवाहा का प्रभाव तो छोटा सा था, क्योंकि उनकी जनसंख्या 4.2 परसेंट है! 🤣 अगर उनके वोटों में से एक भी आंकड़ा हट जाता, तो एनडीए जीत नहीं पाता। लेकिन फिर भी, बीजेपी को बहुत सीटें मिलीं, तो शायद उपेंद्र कुशवाहा ने अपने वोटों को अच्छी तरह से उपयोग कर दिया होगा। 🤔
 
🌞 यह जीत बहुत ही आश्चर्यजनक है, और मुझे लगता है कि इसने बिहार की राजनीतिक लहर को बदल दिया है। उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी ने अपनी छोटी संख्या में वोटों पर इतनी बड़ी जीत दर्ज की, यह बिल्कुल भी अनुमानित नहीं था। लेकिन लगता है कि उनके समर्थन में चुनाव में बहुत सारे लोगों ने अपना समर्थन दिया, और इससे एनडीए को बहुत बड़ी जीत मिली।

मुझे लगता है कि यह जीत बिहार की राजनीतिक स्थिति को बदलने की ओर एक महत्वपूर्ण पल है, और हमें देखने को मिलेगा कि इससे आगे कैसे बढ़ता है।

आम तौर पर, यह जीत एनडीए को बहुत मजबूत बनाती है, और अब उनकी पहलों पर देखकर देखकर देखना होगा।
 
बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की जीत के बारे में सुनकर मुझे याद आ गया है जब मैं बच्चा था और मेरे पिताजी ने मुझे बिहार विधानसभा चुनाव 1990 में देखा था। उस समय भी एनडीए की जीत हुई थी, लेकिन तब से बहुत बदलाव आये हैं। आजकल के लोगों को यह नहीं पता है कि विधानसभा चुनाव कब होता है, और जब वे जानते हैं तो वह भी बहुत कम समय में ही वोट देते हैं।

मुझे लगता है कि अगर कुछ ऐसा बदल गया है तो यह एनडीए ने अपने नेताओं और संगठन में बदलाव किया है। उपेंद्र कुशवाहा जैसे नए नेताओं की बात करें, लेकिन क्या वे पार्टी के दिल को नहीं छुआ है, यह तो मुझे पता नहीं।
 
ਬिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए की जीत ਤो हासिल ਕिया ਹै, लेकिन मेरੇ ਲिए यह तो ਕुछ भी नया नहीं ਦिखਿੰਦਾ। ਪिछलੇ ਵिधानसभा चुनाव ਮੁੱਖतੀਆਂ ਜਿਹੋ ਜਿਹੀ ਸੀ, ਤੇ ਇਸ ਵਾਰ ਵੀ ਅੱਗੇ ਵਧੀਆ ਸੀ। लेकिन मैंਨੂੰ ਲੱਗਦਾ ਹੈ ਕਿ ਬਹੁਤ ਸਾਰੀਆਂ ਛੋਟੀਆਂ-मੋੜੀਆਂ ਪੱਖਾਂ ਵੀ ਅਸੀਂ ਭੁੱਲ ਗਏ।
 
ਤो ਏਨੀ ਚੁਣावਾਂ ਦੇ ਫਲਸਫੇ ਵਿੱਚ ਕੁਝ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਗੱਲਾਂ ਆ ਰਹੀਆਂ ਹਨ... ਬੀਜੇਪੀ, जਦੂ और लੋਜਪਾ ਵਰਗੇ ਸਮਝੌਤੇ ਕੀਤੇ ਜਾ ਰਹੇ ਹਨ। ਬੀਜੇਪੀ ਦੇ ਉਭਾਵ ਸਭ ਤੋਂ ਝਟਕਦਾ ਰਿਹਾ ਹੈ... ਅਲੋਚਨਾ ਕਰਨ ਲਈ ਮੈਨੂੰ ਇਸ ਬਾਰੇ ਸੋਚਣ ਦੀ ਜ਼ਰੂਰਤ ਹੈ।
 
बिहार के चुनाव में एनडीए की जीत तो देखकर खुश हूँ 🤩। लेकिन सवाल यह है कि क्या ये जीत सामाजिक असमानता को कम करने में मदद करेगी? हमारे बिहार में कुशवाहा जाति की भूमिका तो बहुत बड़ी है, इसलिए ये जीत उन लोगों के लिए अच्छी है जिनके पास पैसे और स्थान हो। 🤑

लेकिन हमारे देश में एक ही सामाजिक वर्ग का बुरा फायदा उठाने की आदत तो बहुत पुरानी है। और चुनावों में भी ऐसा ही होता जा रहा है, जहां उन लोगों को पसंद आता है जिन्हें अपने पास स्थान हो। 🤔

लेकिन फिर भी, यह जीत हमारे देश की राजनीति को बदलने में मदद कर सकती है। अगर सरकार वास्तव में गरीबों और छोटे व्यवसायों का ध्यान रखेगी तो यह जीत उनके लिए अच्छी होगी। 🌟
 
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