अगर स्थिति ऐसी थी तो ट्रम्प ने दक्षिण अफ्रीका में जा-20 शिखर सम्मेलन को भाग लेना उचित नहीं लगा। अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा अल्पसंख्यकों पर आरोप लगाना और उनकी सरकार को जी-20 से बाहर करना एक बड़ा मुद्दा है। क्या यह सही है कि जी-20 शिखर सम्मेलन में शामिल देशों में ऐसे आरोप लगाए गए हैं?
दक्षिण अफ्रीका का इस बारे में तो मुझे लगता है कि उनके सरकार ने जी-20 सम्मेलन में हिस्सा लेने से पहले अपनी पकड़ मजबूत कर ली है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के आरोपों पर अफ्रीकानर्स ने बोल दिया है और अब उनके सरकार ने भी उन्हें समर्थन दिया है।
मुझे लगता है कि जी-20 सम्मेलन में अमेरिकी भागीदारी को रद्द करना एक अच्छा फैसला है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी देशों में अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हिंसा और भेदभाव नहीं होता।
मुझे लगेगा कि ट्रम्प जी ये तो अपने पोलिटिक्स के लिए बात कर रहे हैं। दक्षिण अफ्रीका पर उनके आरोपों से तो माफ़ किया गया, लेकिन अमेरिका और जी-20 देशों ने भी उनकी जगह को छोड़ देना चाहिए। क्या ये नहीं है अपने आप को अच्छा दिखाने की कोशिश?
और ट्रम्प जी की बात सुनकर लगता है कि वे अफ्रीकनर्स पर कोई समझ नहीं रखते हैं। उन्होंने अपने पोस्ट में बहुत गंभीर आरोप लगाए, लेकिन दक्षिण अफ्रीकी सरकार ने इन्हें खारिज कर दिया है। तो फिर ट्रम्प जी क्या चाहते हैं?
मुझे लगता है कि ये ट्रम्प जी की अपनी राजनीतिक गेमिंग स्ट्रैटजी है। वह अपने समर्थकों को यह बताना चाहते हैं कि वे अमेरिका में अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हिंसा के खिलाफ हैं। लेकिन दुनिया जानती है कि अमेरिका ने कई बार ऐसी बातें की हैं जो अब उनके खिलाफ ही।
अरे, ये बहुत जरूरी है कि हम जो भी बात कर रहे हैं उसमें सोच-समझकर और सम्मानपूर्वक बोलें। ट्रंप जी ने दक्षिण अफ्रीका पर आरोप लगाए, लेकिन अब सरकार ने इन आरोपों को खारिज किया है। यह हमेशा अच्छा होता है कि हमारी बातें सच्ची और सम्मानपूर्ण हों।
मुझे लगता है कि जी-20 समिट को दक्षिण अफ्रीका में आयोजित करना एक अच्छा विचार था, लेकिन अब यह सवाल उठता है कि अमेरिकी सरकार ने अपने आरोपों से देश की छवि खराब कर दी। इसका मतलब है कि अगर हम अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हिंसा और भेदभाव को मानते हैं तो क्या हम उन देशों में शामिल नहीं होने चाहिए जो ऐसी समस्याओं से जूझ रहे हैं।
मुझे लगता है कि इस मामले में हमें यह सवाल उठाना चाहिए कि अमेरिकी सरकार ने दक्षिण अफ्रीकी सरकार पर आरोप लगाए बिना पहले क्या किया था। और अगर हम अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हिंसा और भेदभाव को मानते हैं तो क्या हम अपने स्वयं के देशों में ऐसी समस्याओं को लेकर बात नहीं कर सकते।
इसलिए, मुझे लगता है कि इस मामले में हमें अपने देशों की छवि और हमारे नागरिकों के साथ प्रतिष्ठा को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ना चाहिए।