आज का शब्द: राका और हरिवंशराय बच्चन की कविता- मेरा प्यार पहली बार लो तुम

हिंदी हैं हम शब्द शृंखला में आज का शब्द है राका, जिसका अर्थ है पूर्णिमा की रात। हरिवंशराय बच्चन की कविता- मेरा प्यार पहली बार लो तुम।

प्राण, संध्या झुक गई गिरि, ग्राम, तरु पर, उठ रहा है क्षितिज के ऊपर सिंदूरी चाँद। सूर्य जब ढलने लगा, कह गया था, मानवों, खुश हो कि दिन अब जा रहा है। श्रम की क्रूर घड़ियाँ चल रही हैं, लेकिन समय सुंदर, सुहाना आ रहा है, छा गई है शांति खेतों और वनों में।

पर प्रकृति के वक्ष की धड़कन बना-सा, दूर, अनजानी जगह पर एक पंछी मंद लेकिन मस्त स्वर से गा रहा है। औधरा की पीन पलकों पर विनिद्रित एक सपने-सा मिलन का क्षण हमारा। स्नेह के कंधे प्रतीक्षा कर रहे हैं, झुक न जाओ और देखो, उस तरु भी प्राण, संध्या झुक गई गिरि, ग्राम, तरु पर। उठ रहा है क्षितिज के ऊपर सिंदूरी चाँद मेरा प्यार पहली बार लो तुम।

इस समय हिलती नहीं है एक डाली, इस समय हिलता नहीं है एक पत्ता। यदि प्रणय जागा न होता, इस निशा में, सुप्त होती विश्व के संपूर्ण सत्ता और उसका टूटना होता असंभव। प्यार से संसार सोकर जागता है, इसलिए है प्यार की जग में महत्ता। हम किसी के हाथ में साधन बने, सृष्टि की कुछ माँग पूरी हो रही है।

हम नहीं कोई अपराध कर रहे, मत लजाओ और देखो, उस तरु भी। प्राण, रजनी भिंच गई नभ के भुजाओं में, थम गया है शीश पर निरुपम रुपहरा चाँद मेरा प्यार बारंबार लो तुम।
 
🌕 यह कविता बहुत सुंदर है, जैसे की मैंने सपने में देखा है। लेकिन लगता है कि लेखक अपने शब्दों का सही उपयोग नहीं कर पाया है। जब वह कहता है "स्नेह के कंधे प्रतीक्षा कर रहे हैं" तो इसका अर्थ सुंदर सुनने वाला मुस्कुराना नहीं है, बल्कि जीवन की परिभाषा भी नहीं है। यही सवाल मेरे दिमाग में आता है 🤔
 
राका की रात में मैं सोचता हूँ, हरिवंशराय बच्चन जी की कविताओं में दिल का भाव आ जाता है। यह कविता खूबसूरती से प्रेम को दर्शाती है, जैसे बादलों में चाँद और सूरज एक-दूसरे को देखते हैं। परन्तु जब तुम राका की रात की तरह विश्व को ग्रहण कर लेते हो, तो तुम्हारी खुशियों की बात में कुछ भी नहीं रह जाता। यह कविता हमें सिखाती है कि प्रेम और शांति ही जीवन की सच्ची शक्ति हैं। 👌
 
राका हिनी की पूर्णिमा की रात में जाने की जिस प्रक्रिया में हम शामिल होते हैं उसमें एक सुंदरता और शांति है। लेकिन जब सूरज ढलता है तो यह दुनिया धीरे-धीरे खुशियों की ओर बढ़ती है, जैसे कि हमारी दैनिक जिंदगी में भी। हमारे आसपास की प्राकृति भी इसी साथ चल रही है।
 
बड़ा सुंदर गीत है यह, खासकर राका की गोलियों के पीछे। मैंने आज भी एक नया फ़ोन खरीदा, 5G स्पीड वाला है। तो कभी-कभार मुझे राका-प्रेमी की तरह महसूस होता है और फिर में अपनी दोस्तों के साथ गाने में लग जाता हूँ। लेकिन फ़ोन वाली गति इस गीत की तुलना में तेज है।
 
अरे दोस्त, आज का खास शब्द राका हुआ है, जिसका अर्थ है पूर्णिमा की रात 🌕🌃। हरिवंशराय बच्चन की कविता में मेरा दिल बहुत लगा रहा है। जब सूर्य ढलने लगा, तो सबको खुशी हुई थी, लेकिन श्रम और समय की कहानी अलग है 🕰️। आज भी हमारे आसपास की प्रकृति में बहुत सुंदरता है, साथ ही शांति और स्नेह की बातें भी हो रही हैं ❤️

मुझे लगता है कि यह कविता हमेशा की जैसी नहीं है, लेकिन समय की बदलती गति को समझने में यह बहुत खास है। प्राण, संध्या और रजनी जैसे शब्दों में शांति और प्रेम की बातें हैं, लेकिन हमेशा याद रखें, जीवन एक अनजान जगह पर भी खुशियाँ और स्नेह की बातें कर सकते हैं 😊
 
राका की रात से जुड़े हुए है हमारा दिल, और हरिवंशराय बच्चन की कविता ने इसे बहुत सुंदर तरीके से बयां किया है। मैं पूरी तरह से सहमत हूं कि श्रम की क्रूर घड़ियाँ चलती रहती हैं, लेकिन समय साफ सफाई करने वाला होता है, और यही हमें खुशी देता है।

तो आज की रात मुझे भी अपने प्यार के साथ जुड़ने का मौका मिला, और मैं उसका स्वागत करता हूँ। 😊🌃
 
राका की दिवाली आ गई, मैंने सोचा तुम्हारा मन कैसा होगा, जब सूरज ढलने लगे और खुशियां निकलने लगें। यही बात तुम्हें नहीं मिल रही है? श्रम की घड़ियाँ चल रही हैं, लेकिन तुम्हारे मन में कोई दर्द भी नहीं? मैं समझता हूँ, दुनिया जो तुमने देखी, उसकी सुंदरता तुम्हारे प्यार को भी खुश करेगी। यही वजह है कि प्राण, संध्या झुक गई गिरि, ग्राम, तरु पर। उठ रहा है क्षितिज के ऊपर सिंदूरी चाँद, जैसे तुम्हारा मन भी उठ रहा है, मेरा प्यार पहली बार लो तुम। 🌃
 
जी हां, आज की संवेदनशीलता और सुंदरता वाली कविता ने दिल को छू लिया है 🤩। हरिवंशराय बच्चन जी की रचनात्मकता और भावनाओं का प्रदर्शन, मुझे बहुत पसंद आया है। यह कविता प्रेम और सुंदरता को दर्शाती है, जो हमें आज भी भावुक बनाती है ❤️। कवि ने अपनी रचना में समय की महत्ता, शांति और प्रकृति की गुणवत्ता को अच्छी तरह से चित्रित किया है। यह कविता प्यार और सौंदर्य को बढ़ावा देती है, जिसे हमें अपने जीवन में महत्व देना चाहिए 🌹
 
🤔 मुझे लगा कि हरिवंशराय बच्चन जी की कविता सुनकर हमें लगता है कि यह पूर्णिमा की रात है, शांति और सुकून की भावना बहुत अच्छी तरह से बयां की गई है। लेकिन मुझे थोड़ा अजीब लग रहा है कि कविता में कई बार त्रुटियाँ हैं, जैसे कि "प्रकृति के वक्ष" को "वक्ष" पर, या "स्नेह के कंधे प्रतीक्षा कर रहे हैं" जैसी स्थितियाँ। 🤦‍♂️
 
जानलेवा प्रदूषण की बात सुनकर मुझे बहुत दुःख होता है। हमें अपने पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिए, खासकर जब वायु प्रदूषण इतना बढ़ गया है कि यह हमारे लिए जानलेवा हो गया है। मेरा सुझाव है कि हमें अपने शहरों और गाँवों में रसायनों की खुराक कम करनी चाहिए और पेड़ लगाने की कोशिश करनी चाहिए। इससे हमारे वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।
 
अरे, याद करो, जैसे ही हमारे प्यार की सृष्टि होती है, वही हिलती नहीं है एक डाली। और आजकल सब चीज़ें ऐसी ही हैं। सबसे पहले मुझे लगता है कि सोचेंगे तो सभी निविदा हैं उनके प्यार के बारे में। लेकिन वास्तविकता तो यही है कि हम तो केवल दुनिया को एक नया रंग डालने के लिए साथ हैं। और आज भी जब सूरज ढलता है, और खुशियां बढ़ने लगती हैं, तो हमें खुश होना चाहिए। और मुझे लगता है कि सबकुछ समय के साथ फूलने लगेगा। 🌹
 
राका पूर्णिमा की रात कैसी होगी, जिसमें सबके मन में खुशी और सुकून होता है, लेकिन जिस दिन भूख और थकान भर गई, शायद तभी राका बैठेगा। हमारे पास इतनी भीड़ है शहरों में, बस वाले को भी अपनी जगह ढूंढने का समय मिल रहा है, लेकिन सड़कों पर किसी भी तरह का निर्माण नहीं होता, तो कैसे भविष्य का घर बनेगा। सिर्फ दिखावा है, बस चित्र खींचते रहते हैं।
 
कहीं सोचने दो, यह सोचा जाए कि हर दिन एक नयी सुबह, एक नया अवसर है। हमें बस इतना करना है, अपने सपनों पर विश्वास रखना, और अपने प्यार में खो जाना। बात तो इस तरह तो नहीं रही, फिर क्यों चिंतित रहते हैं? 🌅💫

जीवन में हर कदम एक नए संदेश का हिस्सा है, और हमें बस उन्हें समझने की जरूरत है। जैसे उस पंछी ने अपनी आवाज़ में खुशी भरा गीत गाया, हम भी अपने जीवन को एक सुंदर गीत बनाने का प्रयास कर सकते हैं। 😊🎶
 
🌕 इस कविता-समीक्षा में मैंने देखा, कि हरिवंशराय बच्चन ने एक प्रेम कहानी लिखी, जिसमें पूर्णिमा की रात और खुशियों की शुरुआत होती है। लेकिन फिर भी जीवन में संघर्ष और दर्द की बातें हैं। कविता को बहुत प्यार, सुंदरता और शांति के साथ देख सकते हैं, और यह हमें याद दिलाती है कि जीवन में प्रेम और स्नेह की जरूरत है। यह एक अच्छी कहानी है, और मुझे लगता है कि हम इसे खूब सोचकर पढ़ें।
 
पूर्णिमा की रात 🌕 सुनकर मुझे अच्छा लगता है, जैसे शांति और खुशी की लहरें फैल रही हैं। हरिवंशराय बच्चन की कविता बहुत प्यारी और गहरी है… प्राण, संध्या झुक गई गिरि, ग्राम, तरु पर, उठ रहा है क्षितिज के ऊपर सिंदूरी चाँद… यह तो बस एक सपना देखने का मौका देता है। और फिर यह श्रम की क्रूर घड़ियों के बारे में कहा गया है? नहीं, हम सब अच्छा कर रहे हैं, बस समय ही अच्छा हो रहा है… 😊 प्रकृति के वक्ष की धड़कन बना-सा, एक पंछी मस्त स्वर से गा रहा है, यह तो स्नेह का क्षण है। हमारे दिलों में स्नेह के कंधे हैं, हमें पता है कि जीवन में खुशियाँ और शांति की लहरें आने वाली हैं। मुझे लगता है, प्यार से संसार चलने लगेगा, और फिर सब ठीक हो जाएगा। 🌹
 
राका पूर्णिमा की रात... तो कौन सी रात ऐसी प्रीतिपूर्ण नहीं है? 😊 हरिवंशराय बच्चन की कविताएं मेरे दिल को बहुत गहराई तक छू जाती हैं। यह कविता मुझे सोचने पर मजबूर कर रही है... क्या हमारी प्रेम कहानियां वास्तव में जीवन की सच्चाई हैं या फिर कल्पना की दुनिया? मैंने कभी नहीं सोचा था कि एक डाली की खिंची और एक पत्ती की झुलने से पूरे विश्व की सत्ता टूट सकती है। लेकिन कविता में यह सब सच लगता है... प्रेम हमारे जीवन को अर्थ और उद्देश्य देता है। शायद, यही कारण है कि मैं इसे पढ़ता रहता हूँ।
 
🌹 ये कविता जैसी प्राण-उपल्लास का संचार करने वाली बातें कभी-कभी ही दिखाई देती हैं। लेकिन मेरा दिल मोहन रमन की कविताओं में थोड़ी भी कमी नहीं है। 🌊
 
राका की रात में सुना जा रहा है, किसी के घर, किसी के दिल में, खुशियों और शांति की घड़ी है। लेकिन कल्पना करो की, एक समय ऐसा था, जब देश में राजकुमारों के साहस और नेताओं की नेतृत्व की कमी थी। तब सोचिये, कैसे हमारे देश को जान-मान लेने वाली प्रगति हुई। आज, जब हर घर में टीवी लगा होता, तो राजनीतिज्ञों की भाषण में नेतृत्व करने की कला में सुधार हुआ है। शायद, अब हमारे देश में राका की रात की शांति और खुशियों को देख सकें। लेकिन, यह सवाल उठता है, कि जब तक हम अपने देश को सुधारने की कोशिश नहीं करते, तब तक ये राका की रात हमारे लिए कैसे अर्थपूर्ण होगी।
 
जानें कि मैंने देखा है राका की चाँदनी, सितारों की तरह खिला हुआ है न किसी प्रेम कहानी में। हरिवंशराय बच्चन जी की कविताओं को पढ़ने के बाद मुझे लगता है कि शाम की गीतगारा सुनकर दिल खुश होता है। 😊❤️ प्राण और संध्या की तरह, मैं भी अपने प्यार की बात कहूं तो लोग मुस्कराएंगे। #राका #प्रेमकाविता #हरिवंशरायबच्चन
 
Back
Top