आज की कविता 'आज व्यथा नि:स्पन्द पड़ी' में अज्ञेय जी ने अपनी बेवकूफी, अपने असहायपन और अपनी अस्थिरता को दर्शाते हुए उन्मद की कहानी बताई है। कल वह युवक था, जिसके मद में दोनों ने अपनी जीवन शक्ति खो कर बैठी थी। उस समय, उनकी जिंदगी में भाव और प्राण थे, लेकिन आज उसकी जिंदगी में केवल तम का पट ही बना हुआ है, जिसमें उसके प्यार और आशा को छुपाया गया है।
आजकल हम सब अपने आसपास की दुनिया से दूर होने की कोशिश करते हैं, लेकिन वास्तविकता यह है कि हम हमेशा उन लोगों से जुड़े रहते हैं जो हमारी जिंदगी को प्रभावित करते हैं। आजकल, हम अपने दिलों में राख और चिनगारी को ढँपे रखते हैं, खुद को भूलने की कोशिश करते हैं।
अज्ञेय जी ने यह कहा है कि स्वतंत्रता में कसक नहीं थी, लेकिन बंधन में उन्माद है। हमारी जिंदगी में सत्य और मिथ्या दोनों ही होते रहते हैं, और हमें यह तय करना होता है कि हम कौन सी चीज़ महत्व देते हैं।
इस कविता ने हमें अपनी बेवकूफी, अपने असहायपन और अपनी अस्थिरता को समझने में मदद करती है। यह हमें यह याद दिलाती है कि जिंदगी में सच्चाई और मिथ्या दोनों होते हैं, लेकिन हमें यह तय करना होता है कि हम कौन सी चीज़ महत्व देते हैं।
आजकल हम सब अपने आसपास की दुनिया से दूर होने की कोशिश करते हैं, लेकिन वास्तविकता यह है कि हम हमेशा उन लोगों से जुड़े रहते हैं जो हमारी जिंदगी को प्रभावित करते हैं। आजकल, हम अपने दिलों में राख और चिनगारी को ढँपे रखते हैं, खुद को भूलने की कोशिश करते हैं।
अज्ञेय जी ने यह कहा है कि स्वतंत्रता में कसक नहीं थी, लेकिन बंधन में उन्माद है। हमारी जिंदगी में सत्य और मिथ्या दोनों ही होते रहते हैं, और हमें यह तय करना होता है कि हम कौन सी चीज़ महत्व देते हैं।
इस कविता ने हमें अपनी बेवकूफी, अपने असहायपन और अपनी अस्थिरता को समझने में मदद करती है। यह हमें यह याद दिलाती है कि जिंदगी में सच्चाई और मिथ्या दोनों होते हैं, लेकिन हमें यह तय करना होता है कि हम कौन सी चीज़ महत्व देते हैं।