सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि आर्थिक नीतियों की व्याख्या मौलिक अधिकारों और संविधान के अन्य प्रावधानों का उल्लंघन नहीं होने तक वह दखल नहीं देती, यहां तक कि वाणिज्यिक कानूनों को भी लागू करने में भी ऐसा होने पर सतर्क रहेगा।
सीजेआई बीआर गवाई ने कहा, 'हमेशा हमारा उद्देश्य देश के हित और आर्थिक स्वतंत्रता बनाए रखने वाली शक्तियों को मजबूत करना है, लेकिन उसके लिए भी एक संतुलन बनाना होता है।'
उन्होंने कहा, 'संविधान की सीमा के अंदर काम करना हमारा मिशन है और हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि वह किसी भी प्रकार के राजनीतिक या आर्थिक दबाव के अधीन न आए।'
अदालत ने दोहराया है कि किसी भी वाणिज्यिक कानून की व्याख्या मौलिक अधिकारों और संविधान के अन्य प्रावधानों की मंशा के अनुरूप होनी चाहिए।
इस बीच, जस्टिस गवाई ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट हमेशा आर्थिक स्वतंत्रता, नियामक अनुशासन और निष्पक्षता के बीच संतुलन बनाए रखने में सतर्क रही है।'
उन्होंने कहा, 'वाणिज्यिक और कॉर्पोरेट मामलों में पारदर्शिता और ईमानदारी सुनिश्चित करने में अदालत सतर्क रही है और कानूनी या कॉर्पोरेट ढांचे का दुरुपयोग कर धोखाधड़ी से लाभ उठाने के किसी भी प्रयास को अस्वीकार किया है।'
सीजेआई बीआर गवाई ने कहा, 'हमेशा हमारा उद्देश्य देश के हित और आर्थिक स्वतंत्रता बनाए रखने वाली शक्तियों को मजबूत करना है, लेकिन उसके लिए भी एक संतुलन बनाना होता है।'
उन्होंने कहा, 'संविधान की सीमा के अंदर काम करना हमारा मिशन है और हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि वह किसी भी प्रकार के राजनीतिक या आर्थिक दबाव के अधीन न आए।'
अदालत ने दोहराया है कि किसी भी वाणिज्यिक कानून की व्याख्या मौलिक अधिकारों और संविधान के अन्य प्रावधानों की मंशा के अनुरूप होनी चाहिए।
इस बीच, जस्टिस गवाई ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट हमेशा आर्थिक स्वतंत्रता, नियामक अनुशासन और निष्पक्षता के बीच संतुलन बनाए रखने में सतर्क रही है।'
उन्होंने कहा, 'वाणिज्यिक और कॉर्पोरेट मामलों में पारदर्शिता और ईमानदारी सुनिश्चित करने में अदालत सतर्क रही है और कानूनी या कॉर्पोरेट ढांचे का दुरुपयोग कर धोखाधड़ी से लाभ उठाने के किसी भी प्रयास को अस्वीकार किया है।'