कोलकाता HC बोला- नाबालिग भी अग्रिम जमानत ले सकते हैं: जुवेनाइल कानून में मनाही का जिक्र नहीं; अभी 18+ वाले ही हकदार

जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015 के तहत नाबालिगों को अग्रिम जमानत देने का अधिकार अब किसी भी अपराध में आरोपी नाबालिग होने पर मिलेगा। इससे पहले इस अधिकार का ही सिर्फ बालिग आरोपियों को मिलने वाला था।

कोलकाता हाईकोर्ट ने शुक्रवार को अपने फैसले में कहा, "जुवेनाइल जस्टिस एक्ट तब लागू होता है जब नाबालिग पकड़ा जाता है। लेकिन अग्रिम जमानत तो गिरफ्तारी से पहले का अधिकार है, ताकि किसी की व्यक्तिगत स्वतंत्रता सुरक्षित रहे।"

इस फैसले में तीन जजों ने सहमति दी, लेकिन एक जज इससे असहमत था। उन्होंने कहा, "नाबालिगों को अग्रिम जमानत देने से बच्चों की सुरक्षा वाली व्यवस्था कमजोर हो सकती है।"

एंटीसिपेटरी बेल की परिभाषा में, यह गिरफ्तारी से पहले मिलने वाली जमानत होती है। इसका मतलब है कि अगर किसी व्यक्ति को लगता है कि पुलिस उसे किसी मामले में गिरफ्तार कर सकती है, तो वह पहले से ही कोर्ट में जाकर जमानत मांग सकता है।
 
मुझे लगेगा कि अब युवाओं को अपने फैसलों से छुटकारा पाने का मौका मिल जाएगा, लेकिन इसका सही मायने समझना जरूरी है 🤔। अग्रिम जमानत देने से पहले नाबालिग को अपने दम पर यह मौका मिलना अच्छा है, लेकिन यह भी ध्यान रखना होगा कि उन्हें खुद का फैसला करने का मौका मिल जाएगा तो बेहतर होगा। इससे हमें सोचने पर मजबूर होना चाहिए कि युवाओं को अपने जीवन को लेकर कितनी स्वतंत्रता देनी चाहिए।
 
मुझे लगेगा कि यह फैसला अच्छा है लेकिन क्या हमने इस पर पूरी तरह से सोचने का समय नहीं दिया था। अग्रिम जमानत देने से पहले तो हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि नाबालिग वास्तव में अपने अधिकारों के लिए लड़ पाएंगे।
 
आजकल युवाओं की बात करने पर मुझे लगता है कि हमें यह सीखने को मिलता है कि अपने अधिकारों का प्रयोग करना ज्यादा महत्वपूर्ण है। अगर नाबालिगों को अग्रिम जमानत देने का अधिकार अब किसी भी अपराध में आरोपी नाबालिग होने पर मिलेगा, तो इसका मतलब यह नहीं है कि हम अपने गलत कामों से बचने के लिए केवल जमानत मांगकरी हैं। 🙏

हमें अपने जीवन में संतुलन बनाना सीखना चाहिए। हमारे गलत कामों को सही करने के लिए हमें कड़ी मेहनत करनी चाहिए, न कि हमेशा जमानत मांगकरी ही रहना। यह फैसला हमें यह सिखाता है कि हम अपने जीवन को व्यवस्थित करने के लिए सोच-समझकर काम करें। और अगर हमें लगता है कि हमारे पास गलती किया है, तो हमें सच्चाई के सामने खड़े होकर अपनी गलती मानलेनी चाहिए।
 
क्या गलती करने वालों को भी फायदा होना चाहिए? 🤔 नाबालिगों को अग्रिम जमानत देने से गंभीर अपराध की नहीं बल्कि मामूली अपराधों में भी आरोपी बनने की शंका है। क्या यह हमारे समाज को सही राह पर ले जाएगा? 🚨 मुझे लगता है कि हमें पहले से ही अधिक सावधानी बरतनी चाहिए और नाबालिगों को बिल्कुल भी अग्रिम जमानत नहीं देनी चाहिए।
 
अगर आरोपी नाबालिग है तो क्यों नहीं मिलेगी अग्रिम जमानत? यह एक बहुत बड़ा सवाल है और मुझे लगता है कि इस पर कुछ सोचेंा चाहिए। अगर हमारे देश में नाबालिगों को बिना विचार किये भी गिरफ्तार कर लिया जा सकता है, तो यह एक बहुत बड़ा अड़चा है। हमें नाबालिगों की सुरक्षा के साथ-साथ उनकी जमानत के अधिकार को भी ध्यान में रखना चाहिए।
 
अरे, ये तो बहुत बड़ी बात है! अब नाबालिगों को भी अग्रिम जमानत देने का अधिकार मिल गया है, मतलब कोई भी अपराध में आरोपी होने पर वो अग्रिम जमानत ले सकता है। इससे पहले केवल बालिग आरोपियों को ही इस अधिकार मिल पाता। तो अब यह सुनिश्चित होता है कि नाबालिगों को उनकी स्वतंत्रता और व्यक्तिगत सुरक्षा का ध्यान रखा जाए। लेकिन, एक बात तो जरूर है कि इस फैसले से हमारे देश में अपराध की समस्या को कम करने में मदद मिलेगी। 🤝
 
मैं समझ नहीं पाया कि अगर नाबालिगों को अग्रिम जमानत मिलने दिया जाए तो उनकी सुरक्षा ठीक से नहीं रहेगी? मेरे विचार में, यह जरूरी है कि हमें अपने बच्चों की सुरक्षा के बारे में और भी अधिक सोचा जाए। क्या इससे नाबालिगों को अधिक स्वतंत्रता मिलेगी? मैं अभी तक यह नहीं समझ पाया हूँ।
 
मुझे लगता है की यह फैसला बहुत जरूरी है... कुछ लोगों ने कहा था की नाबालिगो को अग्रिम जमानत देना भला सीधा खतरा है ... लेकिन मैंने सोचा की अगर उन्हें जमानत नहीं मिलती तो वे अपनी जिंदगी बचाने के लिए कुछ भी नहीं कर पाएंगे... और अगर कोई उन्हें गिरफ्तार कर लेता है तो वह बहुत दुखद परिस्थितियों में डाल देगा ... मुझे लगता है की यह फैसला बच्चों की सुरक्षा के लिए बेहतर होगा 🤝
 
जस्टिस एक्ट 2015 में कुछ बदलाव आ गए हैं जैसे कि अब नाबालिगों को अग्रिम जमानत देने का अधिकार मिलेगा तो उनकी उम्र 18 साल तक न होने पर भी। यह अच्छा है क्योंकि बिना लगने वाले आरोपों के लोग जेल जाने की चिंता करेंगे। लेकिन फिर भी थोड़ी सावधानी बरतनी चाहिए ताकि नाबालिगों की छूती सुरक्षा खराब हो न सके। 🤔
 
आपको पता होगा, यह फैसला बहुत ही मुश्किल परिस्थितियों में नाबालिगों को भी आगे बढ़ने का मौका देता है 🤔। इससे पहले, उनके लिए सिर्फ गिरफ्तारी होने के बाद ही जमानत मिल सकती थी। यह फैसला पुलिस और नाबालिगों दोनों के लिए अच्छा हो सकता है, लेकिन ऐसे मामलों में जो बहुत गंभीर हैं तो कुछ सोच विचार करना जरूरी है। इससे पहले बालिग आरोपियों को जमानत देने का मामला था, अब नाबालिग भी इसका लाभ उठा सकते हैं। यह फैसला न्याय प्रणाली में बदलाव ला रहा है, जिससे नाबालिगों को आगे बढ़ने का एक नया रास्ता मिला है।
 
क्या फैसला अच्छा है या नहीं, यह देखना मुश्किल है। एक ओर नाबालिगों को अग्रिम जमानत देने से उनकी स्वतंत्रता बढ़ जाएगी, लेकिन दूसरी ओर यह उनकी सुरक्षा को भी कमजोर कर सकता है और गिरफ्तारी में तेजी ला सकता है। मुझे लगता है कि इस पर फैसला लेने वालों ने अच्छा सोचा होगा, लेकिन अभी यह देखना मुश्किल है कि यह फैसला नाबालिगों की बेहतरी की ओर ले जाएगा या नहीं।
 
नाबालिगों को अग्रिम जमानत देने से निकलने का एक तरीका है... लेकिन यह सोच लें कि अगर आप अपनी बेटी/भाई को 16 साल की उम्र में गिरफ्तार कर लेते हैं, तो पुलिस को तो पहले से ही पता चल जाएगा कि वाह, ये बच्चा तो छोटा है... इस तरह से नाबालिगों की जमानत देने से कोई भी अपराधी अपनी गलतियों को ठीक नहीं कर सकता।
 
बिल्कुल सही! 👍 यह फैसला सचमुच बच्चों की सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी है... 🙏 अगर नाबालिगों को अग्रिम जमानत मिलने से उनकी स्वतंत्रता कमजोर होती है, तो यह भी सच है। हमें अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए पूरी देखभाल करनी चाहिए... 😊 और फिर उन्हें खुद सोचने और निर्णय लेने का मौका देना चाहिए। इससे उनकी आत्मविश्वास बढ़ेगा... 🤝
 
मैंने देखा है कि अब नाबालिगों को अग्रिम जमानत देने का अधिकार लागू होता है, तो यह अच्छी बात नहीं लग रही। पहले से इस अधिकार का मिलना था, तो यह कहां जाना है? अब भी वह गिरफ्तारियों के दौरान मुकदमे में नाबालिगों की मदद करते हैं या नहीं। इससे पहले तो ऐसा था कि उन्हें मुकदमे में मदद करने से पहले जमानत देनी पड़ती थी। अब इसका मतलब यह है कि वह मामलों में भाग लेते रहेंगे, और हमारे समाज का व्यर्थ करने लगेंगे।
 
मुझे लगा कि यह फैसला थोड़ा अजीब है। पहले ये नाबालिगों के लिए अग्रिम जमानत एक विशेष अधिकार था, जो उन्हें मिलने वाला था। अब यह सिर्फ ऐसे अपराधियों के लिए ही मिलेगा जिनकी उम्र 18 से कम है। मुझे लगता है कि इससे नाबालिगों के खिलाफ अधिक दबाव पड़ेगा, और वे फंसने की संभावना बढ़ जाएगी।
 
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