जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015 के तहत नाबालिगों को अग्रिम जमानत देने का अधिकार अब किसी भी अपराध में आरोपी नाबालिग होने पर मिलेगा। इससे पहले इस अधिकार का ही सिर्फ बालिग आरोपियों को मिलने वाला था।
कोलकाता हाईकोर्ट ने शुक्रवार को अपने फैसले में कहा, "जुवेनाइल जस्टिस एक्ट तब लागू होता है जब नाबालिग पकड़ा जाता है। लेकिन अग्रिम जमानत तो गिरफ्तारी से पहले का अधिकार है, ताकि किसी की व्यक्तिगत स्वतंत्रता सुरक्षित रहे।"
इस फैसले में तीन जजों ने सहमति दी, लेकिन एक जज इससे असहमत था। उन्होंने कहा, "नाबालिगों को अग्रिम जमानत देने से बच्चों की सुरक्षा वाली व्यवस्था कमजोर हो सकती है।"
एंटीसिपेटरी बेल की परिभाषा में, यह गिरफ्तारी से पहले मिलने वाली जमानत होती है। इसका मतलब है कि अगर किसी व्यक्ति को लगता है कि पुलिस उसे किसी मामले में गिरफ्तार कर सकती है, तो वह पहले से ही कोर्ट में जाकर जमानत मांग सकता है।
कोलकाता हाईकोर्ट ने शुक्रवार को अपने फैसले में कहा, "जुवेनाइल जस्टिस एक्ट तब लागू होता है जब नाबालिग पकड़ा जाता है। लेकिन अग्रिम जमानत तो गिरफ्तारी से पहले का अधिकार है, ताकि किसी की व्यक्तिगत स्वतंत्रता सुरक्षित रहे।"
इस फैसले में तीन जजों ने सहमति दी, लेकिन एक जज इससे असहमत था। उन्होंने कहा, "नाबालिगों को अग्रिम जमानत देने से बच्चों की सुरक्षा वाली व्यवस्था कमजोर हो सकती है।"
एंटीसिपेटरी बेल की परिभाषा में, यह गिरफ्तारी से पहले मिलने वाली जमानत होती है। इसका मतलब है कि अगर किसी व्यक्ति को लगता है कि पुलिस उसे किसी मामले में गिरफ्तार कर सकती है, तो वह पहले से ही कोर्ट में जाकर जमानत मांग सकता है।