मैं अपने परिवार को छोड़कर एक अस्पताल में बैठा था। वहां मेरी बेटी मर गई थी। उसकी लाश सामने पड़ी थी। जब मैंने जाना तो उसने उसी अस्पताल की दीवार पर अपनी पेंटिंग बनाई थी।
मैं मधुबनी पेंटिंग बनाती हुई बहुत खुश हूं। यह पेंटिंग मुझे याद दिलाती है। हर पेंटिंग में एक बच्चा बनाती हूं। वो बच्चा दरअसल मेरी बेटी होती है।
मैंने अपने परिवार से बहुत कुछ छोड़ दिया था। अब मैं मधुबनी पेंटिंग से जुड़ी हुई हूं।
मैंने पहले कभी नहीं सोचा था कि पेंटिंग मुझे इतना खुशी देगी। लेकिन जब बेटी मर गई तो मुझे यही राहत मिली।
अब मैं 80 बच्चों को मधुबनी पेंटिंग और गीत सिखाती हूं। इन बच्चों के साथ बहुत अच्छा लगता है।
मैं मधुबनी पेंटिंग बनाती हुई बहुत खुश हूं। यह पेंटिंग मुझे याद दिलाती है। हर पेंटिंग में एक बच्चा बनाती हूं। वो बच्चा दरअसल मेरी बेटी होती है।
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मैंने पहले कभी नहीं सोचा था कि पेंटिंग मुझे इतना खुशी देगी। लेकिन जब बेटी मर गई तो मुझे यही राहत मिली।
अब मैं 80 बच्चों को मधुबनी पेंटिंग और गीत सिखाती हूं। इन बच्चों के साथ बहुत अच्छा लगता है।