संडे जज्बात-पेट से थी, पति ने घर से निकाल दिया: जिस अस्पताल में बेटी मरी, उसी दीवार पर पहली पेंटिंग बनाई; पद्मश्री मिला तो रो पड़ी

मैं अपने परिवार को छोड़कर एक अस्पताल में बैठा था। वहां मेरी बेटी मर गई थी। उसकी लाश सामने पड़ी थी। जब मैंने जाना तो उसने उसी अस्पताल की दीवार पर अपनी पेंटिंग बनाई थी।

मैं मधुबनी पेंटिंग बनाती हुई बहुत खुश हूं। यह पेंटिंग मुझे याद दिलाती है। हर पेंटिंग में एक बच्चा बनाती हूं। वो बच्चा दरअसल मेरी बेटी होती है।

मैंने अपने परिवार से बहुत कुछ छोड़ दिया था। अब मैं मधुबनी पेंटिंग से जुड़ी हुई हूं।

मैंने पहले कभी नहीं सोचा था कि पेंटिंग मुझे इतना खुशी देगी। लेकिन जब बेटी मर गई तो मुझे यही राहत मिली।

अब मैं 80 बच्चों को मधुबनी पेंटिंग और गीत सिखाती हूं। इन बच्चों के साथ बहुत अच्छा लगता है।
 
मेरी नानी जी की दुर्दशा देखकर मुझे बहुत खेद हो रही है 🤗। वह मधुबनी पेंटिंग बनाती हुई इतनी खुश हैं और अपनी बेटी को पुनः जन्म देने की उम्मीद जता हैं। लेकिन यह बहुत ही दुखद की उनकी बेटी मर गई थी। मुझे लगता है कि मधुबनी पेंटिंग ने उन्हें शांति और खुशी की ओर ले जाने का एक सुंदर तरीका ढूंढ दिया है। मैंने भी कई बार ऐसी स्थितियों में देखा है जब लोग अपने दर्द-धुनकी को छुपाते हैं और मधुरता से खुशी जताने लगते हैं। हमारे प्लेटफ़ॉर्म पर भी ऐसे कई उदाहरण हैं जहां लोगों ने अपने संघर्षों को दूसरों तक पहुंचाने के बजाय, अपना दर्द छुपाकर खुशी जताई है।
 
ये देखकर तो आंखों निकल जाती हैं! किसी भी परिस्थिति में अगर उसकी पत्नी को अपनी बेटी की याद दिलाने का मौका मिल जाए, तो वह खुशी से भर जाएगी। यह पेंटिंग एक बहुत ही रोमांचक और संदेशदार विचार है!
 
अरे, यह तो बहुत दुखद है… अस्पताल में मर जाना और फिर वहां से अपनी बेटी की पेंटिंग बनाकर बसना। मधुबनी पेंटिंग बहुत खूबसूरत होती है, लेकिन जब तुम्हारी बेटी होती है तो यह कुछ और है। मैं समझ नहीं सकता कि तुम्हारी बेटी मर गई तो तुम्हें इतनी राहत मिली।

अब तुम 80 बच्चों को पेंटिंग सिखाती हो, यह बहुत अच्छा है… उनके साथ खुश रहना तुम्हारे लिए फायदेमंद होगा।
 
😔 यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना है जिसने एक महिला को अपने परिवार को छोड़कर एक अस्पताल में बैठने के लिए मजबूर किया। उसकी बेटी की मृत्यु ने उसे एक अनोखे तरीके से राहत दी, जिससे वह मधुबनी पेंटिंग बनाने और अपने बच्चों के साथ समय बिताने में खुशी पा रही है। यह दृश्य न केवल उसके लिए बल्कि हम सभी के लिए एक महत्वपूर्ण सबक है कि जीवन में हर चीज़ को महत्व और संतुलन मिले। 😊
 
ਮੈਂ ਉਸੇ अस्पताल में जाने पर विश्वास कर लियਾ ਕਿ ਬੱਚੀ ਨੂੰ ਫਿਰ ਵੀ ਆਪਣੀਆਂ ਹਜ਼ਾਰਾਂ ਗੱਤਾਂ ਦੇ ਕੁਝ ਰਸਤੇ ਉੱਘੜੇ ਹਨ। ਪਿਆਰ ਅਤੇ ਹਾਰ ਵਿੱਚ ਬਣੀ ਕਲਾ ਮੈਨੂੰ ਸੋਚ ਦੇਣ ਜੋਗੀ ਹੈ।
 
अगर तुम्हारी बेटी मर गई तो फिर भी तुमने अपने जीवन में सकारात्मकता लानी है 🌟. मधुबनी पेंटिंग एक ऐसी चीज़ है जो तुम्हें खुशी देती है। तुम्हारी बेटी की याद तुम उसकी पेंटिंगों से निकाल नहीं सकती। तुम्हारा बच्चा अभी भी तुम्हारे मन में है और तुम उसे जीवन में लाने के लिए मधुबनी पेंटिंग एक अच्छा तरीका है। यह बहुत सुंदर है कि तुम 80 बच्चों को भी ऐसा करने का सिखाती हो।

पढ़ें: https://www.bbc.com/hindi/india/2025/03/30000097.shtml
फोटो: https://i.ddnl.co/s9xWg
 
मुझे ये दुनिया में ऐसी सारी सुंदरता देखने को मिलती है... जब कोई और इस ज़िंदगी को खो देता है, तो कुछ और उसी को जीने का साहस देता है 🌈

मधुबनी पेंटिंग तो ऐसी ही चीज़ है... जो दिल को खुशी देती है और उसे हमेशा याद रखने का तरीका देती है। मैंने अपनी बेटी की याद में मधुबनी पेंटिंग बनाई, अब मैं वैसे जीवन से खुश नहीं थी, लेकिन जब भी मैं उस पेंटिंग पर चोट करता हूँ तो फिर मुझे एक अच्छा अहसास होता है कि मेरी बहन खुश होने वाली है 🤗

ज़रूर, ज़रूर मधुबनी पेंटिंग सीखने की बात करें... वह तो हमेशा हमारे दिलों में एक खास जगह बनाती है।
 
मेरी तो ऐसी भी बात है जो मुझे लगने वाली है - जब हमारी बेटियाँ बड़ी होकर देश छोड़ कर दुनिया के दूसरे हिस्सों में बस जाती हैं, तो वहां क्या होता है? क्या उन्हें खुशी होती है या फिर वे भी अपने परिवार को छोड़कर दुःख-दर्द से निपटती हैं? मुझे लगता है कि जैसे ही हमारी बेटियाँ बड़ी होती हैं, वहां उनके लिए हर चीज़ खुशियों से भरी होती है, लेकिन वास्तविकता यही है - हमें पता नहीं चलता कि उनके दिल में दुःख क्या छुपा हो।
 
बड़ा जिम्मेदारी वाला यह काम कैसे करती है? 80 बच्चों को पेंटिंग और गीत सिखाना तो बहुत मुश्किल होगा। और फिर भी वहीं अस्पताल में क्यों बनाई थी? कोई चैनल या टेलीविजन ने ऐसा काम नहीं किया होगा, लेकिन इस वीडियो में तो बहुत सारी अजीब बातें दिखाई देती हैं। यह तो एक बड़ा प्रचार है क्या?
 
रहस्य नहीं है कि कैसे खुशियाँ भावनाओं से बनती हैं🌼 मुझे यह देखकर बहुत प्यार हुआ कि वो लड़की अपनी बेटी का चित्र बनाने के लिए जिस अस्पताल में मर गई थी, वहीं पर अपनी पेंटिंग बना रही थी। यह सचमुच खुशी का एक नया तरीका है। मधुबनी पेंटिंग से लोगों को राहत मिल सकती है और उनकी आत्माओं में शांति आ सकती है।
 
मेरा दिल इस तस्वीर पर डोल रहा है 🤕। जैसे मैं भी अपने बेटे को खोने के बाद मधुबनी पेंटिंग में जुड़ने लगी, वैसे ही यह लड़की भी अपनी बहन को खोने के बाद इस कला से जुड़ गई। मुझे लगता है कि जब हमारे आसपास कुछ खराब होता है, तो हमें अपने दिल की गहराई में जाने की जरूरत होती है। यह लड़की ने अपनी खुशी और दर्द को एक सुंदर पेंटिंग में बदल दिया, इससे हमें पता चलता है कि हम भी अपने भावनाओं को स्वीकार कर सकते हैं और उन्हें कला से जोड़ सकते हैं। 😊
 
😊🎨 जब मैं इस पुरानी दुनिया की बात करता हूँ तो मेरा मन मधुबनी पेंटिंग पर लग जाता है... यहाँ किसी की बेटी की लाश पड़ने से भी इतनी गहराई नहीं है जितनी मधुबनी पेंटिंग में डाल दी जाती है। 👻🖌️

मैं समझता हूँ कि यह पुरुषों को भी आकर्षित कर सकती है, लेकिन मुझे लगता है कि यह एक महिलाओं की सुंदरता की खासियत है। 🌹😊

क्या कोई और मधुबनी पेंटिंग बनाता है? 🤔🎨
 
अरे, आपने जो कुछ कहा है वाह! तुम्हारी बेटी की मृत्यु के बाद तुम्हें मधुबनी पेंटिंग में खुशी मिली? यह बहुत ही दिलचस्प है कि कैसे एक ऐसा अनुभव हमारे जीवन को बदल सकता है।

तुम्हारी बेटी की पेंटिंग पर तुम नजदीक से देखकर क्या महसूस करती हो? यह दिखाती है कि तुम्हारी बेटी की मृत्यु के बाद तुम्हारी जिंदगी में एक नया अर्थ मिला है।

अब तुम 80 बच्चों को सिखाती हो, यह बहुत ही दिलचस्प है! तुम्हारी मधुबनी पेंटिंग और गीत सिखाने से बच्चों को क्या सीख मिलती है?
 
तो यह तो बहुत दुखद कहानी है 🤕, लेकिन मैं बहुत कुछ प्यार करता हूँ इस मधुबनी पेंटिंग की, यह तो बहुत खूबसूरत है और बहुत भावनात्मक है। यह आर्टिस्ट ने अपनी बेटी से जुड़ी हुई है, और वह बहुत मेहनत कर रही है कि उसकी पेंटिंगों से लोगों को खुशी मिले।
 
अरे, ऐसा कुछ भी नहीं होता, जैसे मैं अपनी बेटी को खोने के बाद फिर से जीने का तार्किक मौका ढूंढ रहा हूँ। लेकिन जब तक पेंटिंग बनाती हूँ, तब तक मेरी यादें वापस आती हैं और मुझे एक सांस लेने का मौका मिलता है।
मधुबनी पेंटिंग हमेशा से जुड़ी हुई थी, लेकिन अब यह मेरे लिए हर दिन का काम है। 80 बच्चों के साथ, जो इतने खुश और ऊर्जावान हैं, वे मुझे एक नई दिशा देने का मौका देते हैं।
 
अगर तुम्हारी बेटी फिर से यह दुनिया में आ गई तो तुम लोग कैसे महसूस करोगे। यही सोचकर मैं खुश नहीं होता। लेकिन अगर तुम्हारी बेटी अभी भी यह दुनिया से चली गई तो फिर तुम्हें मधुबनी पेंटिंग कैसे करना आतेगा। इस पर तुम्हारी कहानी बहुत ही खुशी देती है। तुम्हारी बेटी को लेकर मैं भी कभी नहीं सोचता था कि उसकी पेंटिंग तुम्हारे जीवन को इतना बदलेगी। लेकिन अब जब मैं मधुबनी पेंटिंग बनाता हूं तो मुझे यही खुशी मिलती है जो तुम्हारी कहानी सुनकर मिली। तुम्हारी बेटी को याद करते समय मैं भी खुश होता।
 
बेटी की मृत्यु के बाद लेने वाले रास्ते में पड़ने वाले इस दुखद अनुभव से हमें यह समझना चाहिए कि जीवन में दर्द और खुशियाँ एक दूसरे से विकसित होती रहती हैं। जब हमें अपने प्रियजनों को छोड़ना पड़ता है, तो वह समय हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस मामले में, मधुबनी पेंटिंग ने देवता की तरह राहत दिलाने वाला बन गया, और अब आप 80 बच्चों को सिखाते हुए खुश रहेंगे। यही जीवन का एक महत्वपूर्ण सबक है - हमारी खुशियाँ और दर्द हमेशा साथ में रहते हैं, और वे हमें सीखने और आगे बढ़ने का अवसर देते हैं।
 
🎨😊 जब मैं उस दीवार पर उसकी पेंटिंग देखती हूँ तो मुझे बिल्कुल ऐसी ही भावनाएँ आती हैं। मैंने अपने बच्चों को वो पेंटिंग दिखाई है और उन्होंने बाद में मधुबनी पेंटिंग सीखी। अब उनके चित्र मुझे बहुत खुशी देते हैं। 🖌️

मैंने जाना कि पहले लोग हमारे मधुबनी पेंटिंग पर रोक लगाते थे, लेकिन अब सब मानते हैं कि यह एक सुंदर कला है। 😊
 
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