पाम तेल की कमजोरी, सोयाबीन और सूरजमुखी की बढ़ी मांग, और भारत में खाद्य तेलों की विविधता: एक नई दिशा।
भारतीय खाद्य तेल बाजार में बदलाव होने की खबरें पिछले कुछ समय से चल रही थीं। अब यह बढ़ गई है। पाम तेल, जो लंबे समय तक रसोई के तेल के आयात में सबसे आगे रहा है, अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहा है।
इस बदलाव के पीछे अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों में उतार-चढ़ाव और आपूर्ति की अनिश्चितता है। पाम तेल की कीमतें ऊंचे स्तर पर बनी हुई हैं, जबकि सोयाबीन और सूरजमुखी तेल की कीमतें अपेक्षाकृत स्थिर हैं।
देश में घरेलू उत्पादन, रोजगार सृजन और दीर्घकालिक स्थिरता को नई दिशा मिल सके इस बदलाव को रणनीतिक अवसर में बदलने की चुनौती है।
भारतीय खाद्य तेलों की विविधता बढ़ रही है, जिससे उपभोक्ताओं और कंपनियों की पसंद तय हुई है। शहरी परिवारों और ब्रांडेड उत्पाद बनाने वाली कंपनियों में अब सॉफ्ट यानी हल्के और मिश्रित तेलों की बढ़ी हुई मांग दिखाई देती है।
नेपाल से शुल्क-मुक्त रिफाइंड सोयाबीन तेल का आयात ने क्षेत्रीय व्यापार को बढ़ावा दिया, लेकिन भारतीय रिफाइनरियों पर दबाव बढ़ा है।
इस बदलाव को समझने और इसे अपनाने की जरूरत है, ताकि भारत अपने खाद्य तेल क्षेत्र में मजबूती स्थापित कर सके।
भारतीय खाद्य तेल बाजार में बदलाव होने की खबरें पिछले कुछ समय से चल रही थीं। अब यह बढ़ गई है। पाम तेल, जो लंबे समय तक रसोई के तेल के आयात में सबसे आगे रहा है, अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहा है।
इस बदलाव के पीछे अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों में उतार-चढ़ाव और आपूर्ति की अनिश्चितता है। पाम तेल की कीमतें ऊंचे स्तर पर बनी हुई हैं, जबकि सोयाबीन और सूरजमुखी तेल की कीमतें अपेक्षाकृत स्थिर हैं।
देश में घरेलू उत्पादन, रोजगार सृजन और दीर्घकालिक स्थिरता को नई दिशा मिल सके इस बदलाव को रणनीतिक अवसर में बदलने की चुनौती है।
भारतीय खाद्य तेलों की विविधता बढ़ रही है, जिससे उपभोक्ताओं और कंपनियों की पसंद तय हुई है। शहरी परिवारों और ब्रांडेड उत्पाद बनाने वाली कंपनियों में अब सॉफ्ट यानी हल्के और मिश्रित तेलों की बढ़ी हुई मांग दिखाई देती है।
नेपाल से शुल्क-मुक्त रिफाइंड सोयाबीन तेल का आयात ने क्षेत्रीय व्यापार को बढ़ावा दिया, लेकिन भारतीय रिफाइनरियों पर दबाव बढ़ा है।
इस बदलाव को समझने और इसे अपनाने की जरूरत है, ताकि भारत अपने खाद्य तेल क्षेत्र में मजबूती स्थापित कर सके।